Tuesday, November 6, 2012

hindi the most beautiful of languages

हमारी प्रिय सहेली बगल वाले कमरे मे हिंदी का अभ्यास कर रही है, तो मुझे लगा क्यों न मैं भी हिंदी लिपि का अभ्यास करते हुए मेरी ब्लॉग को हिंदी में ही लिकूँ। अब इसकी समस्या ये है की ऐसे लिकते हुए मुझे बहुत कटिनता हो रही है। एक तो कई वर्षों से मैंने हिंदी का लिकाप नहीं किया है। न ही हिंदी की कोई किताब पढी है।  वकालत के अध्ययन में हिंदी का अध्ययन हो नहीं पाता। फिर बात है की जब अंग्रेजी की किताबें ही नहीं पढते, तो कहीं कोई हिंदी की पुस्तक बला  क्यों उठाये? इसमें कसूर मेरा ही है की मै अपनी हिंदी को अविकृत न रक पायी। अब ऐसे बतियाने से कुछ सिद्ध नहीं होगा। अच्छा होगा की मै अपनी हिंदी को दोबारा जागृत करूँ। इसमें उपरोक्त सहेली का प्रभाव और उसकी सहायता महत्वपूर्ण रहेगी।
वैसे ये 'इंग्लिश टू हिंदी' भाषांतर जो है, इसमे लिकना भी इतना मुश्किल हो रहा है। चलो अब बस।

खुदा हाफिज़। लाल सलाम। शुक्रिया महेरबानी। शुभ रात्री। 

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